जब से मनुष्य इस धरती पर आया तब से तारों भरा आकाश Universe उनके आकर्षण का केन्द्र बना रहा। सूर्य, चन्द्रमा और ग्रह ये सभी रहस्यमय थे। क्यों न हो पृथ्वी पर रहने वाले हरेक वस्तु का अध्ययन वे पास से देख, छू, सूंघ, सुन, और स्वाद लेकर कर सकते थे, पर आकाश के इन चमकदार रहस्यमय पींडो पर कोई जोर नही चलता था। उनके उस समय की समझ आंखो द्वारा किये गये प्रेक्षण तथा कल्पना पर ही आधारित थी। इन प्रेक्षणों के बाद भी कुछ कमी थी और इसी कमी को पूरा किया दूरबीन Telescope ने।
आज से करीब चार शताब्दी पूर्व 1609 में इटली के वैज्ञानिक गैलीलियो गैलेलाई Galileo Galilei ने दूरबीन का रुख आकाश की ओर किया। उन्होंने जो कुछ भी देखा वो ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को गहराई से प्रभावित किया। पर दूरबीन का आविष्कार गैलीलियो Galileo Galilei ने नहीं किया था। इसका श्रेय तो नीदरलैंड के चश्मेकार हांस लिपरशे Hans Lippershey को जाता है। रोचक तथ्य तो ये है कि लिपरशे ने अपने द्वारा आविष्ड्डत उपकरण का उपयोग आकाशीय पींडो को देखने के लिए कभी नही किया था। वो इसका उपयोग जासूसी कार्य तथा समुद्री यात्राओं मे सोंचते थे। इसलिए वो अपने नये आविष्कार को पेटेंट करना चाहते थे पर नीदरलैंड की सरकार ने इसकी स्वीड्डति नहीं दी क्योंकि कुछ और लोग भी इसके आविष्कार का दावा कर रहे थे विशेषकर उसके प्रतिस्पर्धी सैरोरियास जेन्सन। लेकिन उसके डिजायन को काॅपी करने के लिए नीदरलैंड की सरकार ने उसे अच्छा इनाम दिया गया।
हर आविष्कार के पीछे एक कहानी छुपी होती है। दूरबीन के आविष्कार ( Invention of Telescope) के पीछे भी एक रोचक कहानी कही जाती है। 1608 में लेंसें आम हुआ करती थी। बच्चे खेलने के लिए इसका उपयोग करते थे। ऐसी ही दो बच्चों के खेलने के क्रम में जब उत्तल CONVEX LENS और अवतल लेंस CONCAVE LENS को एक साथ रखकर देखा तो दूर स्थित चर्च का क्राॅस अद्भूत रुप से साफ और आवर्धित दिखा। इस बात को लिपरशे Hans Lippershey ने भी देखा और जल्द ही वैसे ही दो लेंसो की एक व्यवस्था तैयार की और उसे ‘‘लूकर‘‘ नाम दे दिया जो संसार का पहला व्यवहारिक दूरबीन बना। इस नये अविष्कार की खबर तेजी से पूरे यूरोप में फैल गई। जब गैलीलियो ने इस नये अविष्कार के बारे में सुना तो उन्होंने इसे खुद से बनाने की ठानी। धातु की नली में एक तरफ उत्तल लेंस तथा दूसरी तरफ अवतल लेंस फिट किया। और कुछ दिनों के जोड़ घटाव के बाद अंततः उसे एक पहले से बेहतर दूरबीन बनाने में सफलता मिल गई। जिसका उपयोग वो जासूसी कार्यों से हट कर आकाशीय पींडो को देखने के लिए किया। और उसने जो देखा कल्पना से परे था। जिसने ब्रह्मांड के बारे में हम लोगों की तब तक की समझ को ही गलत साबित कर दिया। उसने सबसे पहले चंद्रमा का अवलोकन किया और ये बताया की ये सिक्के तरह चिपटा गोल नहीं बल्कि बाॅल की तरह है जो की उस समय तक अधिकतर खगोलविदों का मानना था। उन्होंने चन्द्रमा पर विशाल पर्वतों, गर्ताे और मैदानों को देखा और चंद्रमा पर के काले धब्बों का मरिया (यानि सागर) नाम दिया जो कि विशाल मैदान थे। बृहस्पति के चार चंद्रमाओं को सबसे पहले देखने वाला व्यक्ति वही थे। इसलिए उनके सम्मान उन चंद्रमाओं गैलेलियन चंद्रमाओं की संज्ञा दी जाती है। उन्होंने अपने दूरबीन का रुख अब शुक्र की तरफ किया और पाया कि शुक्र भी चंद्रमा कि तरह कला प्रदर्शित करता है। इससे उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि चंद्रमा की तरह ही शुक्र भी अपनी रौशनी से न चमककर सूर्य से परावर्ती होकर आने वाली रोशनी से ही चमकता है।
गैलीलियो के अवलोकन केप्लर द्वारा काॅपरनिकस संशोधित क्रांतिकारी अवधारणा कि सूर्य सौर मंडल का केन्द्र न कि पृथ्वी से मेल खाते प्रतीत होते थे । सूर्य के बेदाग होने की छवि को भी उनके अवलोकन के बाद धूमिल हो गई। उन्होंने सूर्य पर काले धब्बे देखे जिसे उन्होंने सन स्पोट (सौर दाग) का नाम दिया। अंततः 1610 में अपने अवलोकनों और प्रक्षेणों को कलमब( कर ‘‘साइडरियस नन्सियस“ (द स्टारी मेसेंजर) के नाम से प्रकाशित करवाया। जिसने हमारी आकाशीय पींडों के बारे में हमारी समझ को गहरे से प्रभावित किया। उन्होंने दूरबीन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। और कुछ दिनों मे ही वो अपने दूरबीन बनाई जो 30 X (बिंब को तीसगुना आवर्धित 30 times magnification करके दिखता) था। लेकिन लेंसो में बहुत सारी त्रुटियों के कारण प्रतिबिंब धूंधली और विड्डत बनती थी। इसके बावजूद ये उनके आकाश को छानने के लिए काफी था। उनके बनाये गये यंत्र को ही सर्व प्रथम ‘‘टेलीस्कोप“ Telescope कहा गया। 1611 में वे जब अपने नये आविष्कृत यंत्र का प्रदर्शन वेनिस में कर रहे थे तभी किसी ग्रीक कवि ने दिया था, जो ग्रीक भाषा के दो शब्द टेली और स्कोप का युग्म है जिसका अर्थ क्रमशः दूर और दर्शी होता है। उनके इस यंत्र के बेहतर बनाने के लिए लगातार किये गये प्रयास तथा उनकी महान उपलब्धि के सम्मान में उनके दूरबीन को गैलेलियन टेलीस्कोप कहा जाने लगा।
जब कोई राह बनती है तो उसमें चलने वाले अनन्य पथिक भी हो जाते है। गैलीलियो ने आकाशीय पींडो को देखकर जिस युग की शुरुआत की थी उसे आने वाले पीढ़ियों ने भी निरंतर रखा। तथा आकाशीय पींडों के अध्ययन के लिए दूरबीनों को बेहतर बनाने की कोशिश करते गये। जिसमें जोहानस् केपलर, विलिअम गैसकोएन, क्रिस्टीयन हाइजेन और गेओवेनी केसीनी के नाम प्रमुख है जिन्हें गैलेलियन (लेंस द्वारा बने) दूरबीन पर काम किया। गैलीलियो की दूरबीन में वर्ण विपथन या विच्छेपन एक समस्या थीं जिससे प्रतिबिंब के अलग-अलग रंगो में बंट कर धूंधली और विकृत छवि बनती थी। इस समस्या के समाधान के लिए दर्पण का उपयोग किया गया। सर्वप्रथम 1616 में दूरबीन (परावर्तक) में अवतल दर्पण का प्रयोग इटली के खगोलशास्त्री निकोलो जूकी ने किया। जिससे देखने के लिए प्रेक्षणकर्ता को दर्पण के फोकल समतल पर सीधे देखना पड़ता था, आने वाली प्रकाश किरणें प्रेक्षणकर्ता के सर से रुक जाती थी। ये अव्यवहारिक होने बावजूद जूकी ने 1630 में इससे वृहस्पति के बेल्ट की खोज की। उनका टेलीस्कोप वर्ण विपथन समस्या से तो मुक्त हो गया पर गोलीय दर्पण के उपयोग से एक नई समस्या गोलीय विपथन का शिकार हो गया।
अपवर्तक दूरबीन के विकास में जेम्स ग्रेगरी का भी योगदान रहा। गोलीय विपथन का दूर करने के उन्होने बहुत प्रयास किया पर इससे समस्या का समाधन नही हो पाया अंततः उन्होंने परवलयिक दर्पण के उपयोग कर डिजायन तैयार किया जिससे वर्ण विपथन के साथ गोलीय विपथन की समस्या का भी समाधान होता लेकिन उस परवलयिक दर्पण बनाने की तकनिक न होने के कारण उनका दूरबीन कभी भी व्यवहार में नहीं आया।
गैलेलियन दूरबीन के करीब 70 साल बाद न्यूटन ने पहला व्यावहारिक परावर्तक दूरबीन बनाया। उन्होंने अपने डिजायन में फोकल समतल के कुछ पहले एक समतल दर्पण को दपर्ण के प्रधान अक्ष पर 45 अंश पर लगाया जिससे किरणों को दूरबीन के बगल में लगे दर्शिका की तरफ मोड़ा जा सके। इस डिजायन में प्रेक्षणकर्ता दूरबीन के बगल में लगे दर्शिका से देख सकता था। लेकिन उनकी भी दूरबीन वर्ण विपथन से मुक्त था पर गोलीय विपथन से नहीं। उन्होंने इस सफलता से प्रेरित होकर दूसरा दूरबीन बनाया जो बिंब को 38 गुना अवर्धित करता था, जिसे उन्होंने राॅयल सोसायटी आॅफ लंदन को भेंट किया। इस तरह की दूरबीन को अभी भी न्यूटोनियन दूरबीन कहा जाता है।
आगे भी जारी है। ………………………………………………..