न्याय कारी -डाना गोलू , कौन हैं और कहाँ पर स्थित हैं ?

0
137

बृजमोहन जोशी, नैनीताल

न्याय कारी डाना गोलू एक प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद्, पशु प्रेमी ,पशु चारक, सामाजिक कार्यकर्ता के साथ- साथ दुग्ध व्यवसाय को एक नवीन पहचान देने वाले लोक देवता भी है।
डाना गोलू को इस अंचल में कल्याण सिंह बिष्ट, कल बिष्ट के नाम से भी जाना जाता है। न्याय कारी डाना गोलू साक्षात फल देने वाले ईष्ट देवता हैं। इनका मन्दिर जनपद अल्मोड़ा से 22किमी की दूरी पर कफड़खान ताकुला- बसौली बागेश्वर मोटर मार्ग पर गैराण नामक स्थान पर पड़ता है।जो ‌कि डाना गोलू की कर्म स्थली भी है। जिस तरह गढ़ी चम्पावत उदयपुर, चितई , घोड़ाखाल के न्याय कारी गोलज्यू की महिमा है ठीक उसी तरह न्याय कारी लोक देवता डाना गोलू जी कि मान्यता समूचे पर्वतीय अंचल में है ।यह भी फरियादी की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले न्याय के देवता के रूप में सर्व विख्यात हैं। ऐसी मान्यता है कि यह अपने भक्तों की आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक बाधाओं को दूर करते हैं इसी कारण इन्हें सर्वाधिक सम्मान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त है।


गैराण नामक स्थान पर डाना गोलू की पुश्तैनी गौ शालाएं थी ,खरक थे । इनके पिता का माल भावर कमोला-धमोला में पुश्तैनी भवन था,गौशालाएं थी खरक थे जिनमें चार-पांच सौ पशु रहते थे । विशेष बात यह है जो में आपके साथ सांझा कर रहा हूं वह यह है कि डाना गोलू ने अपने पूर्वजों की विरासत को अपने पिता राम सिंह बिष्ट के व्यवसाय को कायम ही नहीं रखा अपितु इन्होंने चौरासी माल, तराई – भावर , छिणायी भाबर, कोटा भाबर से लेकर पूरे काली कुमाऊं अंचल में भैंसों कि गौशालाएं व खत्तों का निर्माण कर दुग्ध व्यवसाय को एक उल्लेखनीय पहचान दी।


पूरे इलाके के लोग जो नौ लखी दिवान के उत्पीड़न से भयाक्रांत थे उन्होंने दिवान के अत्याचारों कि आप बीती जब कल्याण को सुनाई तो कल्याण जन कल्याण के लिए खड़े हो गए तो पूरा जन-मानस इन्हें अपना तारणहार मानकर संघर्ष में कूद पड़े । इन्होंने नौ लखिया पाण्डे द्वारा रचे षड्यंत्रों को स्वीकारते हुए तथा राजा के आदेश को सहर्ष स्वीकारते हुए वह माल भावर जाने को भी तैयार हो गए इतना ही नहीं उन्होंने विषय परिस्थितियों का सामना करते हुए इन सभी षड्यंत्रों का सफलता पूर्वक सामना किया।


‌डाना गोलू एक चरवाहे से सामाजिक कार्यों को करने के साथ साथ जब उनकी प्रतिष्ठा दूर दूर तक फैलने लगी तब नौ लखिया दिवान ने सोचा इन्हें बल पूर्वक नहीं हराया जा सकता है इसलिए छल पूर्वक कल्याण सिंह के भीना लछम सिंह देवड़ी को लालच देकर उसकी हत्या करवा दी। हत्या करने के बाद कल्याण सिंह मरणोपरांत दैवीय शक्ति, चमत्कारी, न्याय प्रिय लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। इन्होंने पशुओं को पहाड़ की विषय परिस्थितियों, भौगोलिक स्थितियों से लेकर मैदानी भू -भाग तक जहां -जहां पशुओं के लिए चारा मिलता था उन स्थानों पर पहुंच कर पशु चारण के कार्य को विस्तृत रूप प्रदान किया। दुग्ध व्यवसाय को एक नई पहचान दी।मेरा मानना है कि इस अंचल में दुग्ध व्यवसाय के जनक के रूप में एक प्रकृति प्रेमी ,पर्यावरणविद् ,पशु प्रेमी व पशु चारक के रूप में डाना गोलज्यू कल्याण सिंह बिष्ट हमेशा याद किये जाते रहेंगे , हमेशा ईष्ट देवता के रूप में पूजे जाते रहेंगे।

( लेखक बृजमोहन जोशी “परंपरा” पारम्परिक लोक संस्था नैनीताल के संस्थापक एवं पारम्परिक लोक कलाकार के साथ साथ लेखक , प्रसिद्ध छायाकार , चित्रकार और पारम्परिक लोक कलाओं के संवर्धन और संरक्षण के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहे हैं। )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here