अनिल पंत , नैनीताल
Miracles of Neeb Karori Baba जैसा मैं पूर्व में लिख चुका हूँ कि महाराज जी के दर्शन मुझे बाल्यकाल में ही हमारे घर के बगल में प्रातः समय हुए थे। तभी से मैं जहाँ भी महाराज जी के आने की खबर सुनता पहुँच जाता। महाराज में एक विशेष प्रकार का आकर्षण था। वे अपनी ओर आकर्षित करते रहते थे। महाराज जी की एक विशेष असाधारण बात उनके आने और चले जाने की थी। अक्सर मैंने देखा कि वे प्रातः काल ही किसी भक्त के घर बिना सूचना दिये पहुँच जाते थे और अचानक चले भी जाते थे। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने हनुमान जी की उपासना की थी। अनेक कार्य हनुमान सिद्धि की प्राप्ति के द्वारा होने बताये जाते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि उनका आकाशतत्व पर भी अधिकार था। इसी कारण वे देखते-देखते अदृश्य हो जाते थे और किसी अन्य स्थान पर प्रकट हो जाते थे। ऐसी एक घटना मुझे याद है कि हनुमान गढ़, नैनीताल में शिवजी के मंदिर के प्रांगण में महाराज एक स्थान पर बैठे हुए थे। उनके सामने उनके परम भक्त जीवन चन्द्र जो नैनीताल के निवासी थे और जिन्हें लोग ‘‘जीवन बाबा’’ के नाम से जानते हैं। समाधिस्त लेटे हुए थे। उन्होंने सफेद धोती-कुर्ता पहना हुआ था। जिन्हें महाराज अक्सरतः समाधिस्त कर दिया करते थे। प्रांगण के पास में ही भंडारा भी चल रहा था। महाराज अपने भक्तों के बीच बातों में मग्न थे। सभी लोग तल्लीन होकर उनकी बातें सुन रहे थे और भजन कीर्तन भी कर रहे थे। कुछ समय पश्चात् अचानक एक आवाज आई महाराज कहाँ गये? सब लोगों को जैसे होश आया, देखा महाराज सामने नहीं थे। तभी किसी ने कहा महाराज नीचे मनोरा ग्राम के ऊपर एक स्थान पर बैठे हैं। हम सभी लोग भाग कर वहाँ पहुँचे और फिर से महाराज के सामने बैठ गये। महाराज ने वहाँ पर फिर हलवा-पूड़ी हनुमान मंदिर से मंगवाया और सभी भक्तों को प्रसाद दिया। इस तरह हम देखते हैं कि महाराज में अपने उन भक्तों के प्रति भी लगाव रहता जो किसी कारणवश उनके धाम न आ पाते। वे स्वयं उनके पास पहुँच जाते या अत्यधिक भीड़ होने पर वे अदृश्य भी हो जाते थे। Miracles of Neeb Karori Baba
महाराज के अनन्य भक्तों में सेे एक ‘‘गोपाल बाबा’’ भी रहे हैं, जो छोटे से कद के थे और तुतलाकर बोलते थे तथा वे महाराज से काफी हँसी मजाक कर लिया करते थे। महाराज के नैनीताल आगमन पर वे अक्सर हनुमानगढ़ी मंदिर जाया करते तथा व्यंगपूर्ण बातें भी करते थे। महाराज भी उन्हें बहुत अच्छा मानते थे। महाराज के सीने पर भृगु-पाद भी अंकित था। नैनीताल में गायत्री महायज्ञ के आयोजन के समय श्री देवकामता दीक्षित अपने पुत्र के साथ उपस्थित थे। वे बताते हैं कि उनके पुत्र चन्द्रभूषण की उम्र 17-18 वर्ष की होगी। वह महाराज की तस्वीर अपने कैमरे में लेना चाहता था। यज्ञ के दूसरे दिन महाराज ने खुद उसे अपने पास बुलाया और उसे तस्वीर लेने की अनुमती दे दी। उनके पुत्र चन्द्रभूषण ने जो तस्वीर ली उसमें महाराज के सीने पर ‘‘भृगु-पाद’’ अंकित था। माना जाता है कि महाराज के रूप में स्वयं भगवान ही धरती पर अवतरित हुए । Miracles of Neeb Karori Baba
‘‘तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णा विचरत पूर्ण करहुँ मम् तृष्णा। ’’