अनिल पंत , नैनीताल
Miracles of Neeb Karori Baba महाराज के अनन्य भक्तों में से एक श्री रमेश चन्द्र चौधरी जी रहे हैं। श्री चौधरी जी नगरपालिका नैनीताल में सेवारत रहे और अक्सर महाराज के दर्शन हेतु कैंची मंदिर जाया करते थे और अक्सर उन्हें भजन सुनाया करते। महाराज उन्हें ‘‘रामू चौधरी’’ के नाम से पुकारते थे। आगे चलकर वे इसी नाम से प्रचलित हुवे। श्री चौधरी जी बताते हैं कि एक बार उनकी पत्नि जो कन्या स्कूल में अध्यापिका थी, जिगर की खराबी से परेशान थी। एक बार उनका स्वास्थ्य बहुत ज्यादा खराब हो गया। जिस कारण उन्हंे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। चिन्ताजनक स्थिति को देखकर डाॅक्टर भी निराश हो चुके थे। पत्नि को परेशान देखकर श्री चौधरी जी हतोत्साहित हो गये और सीधे कैंची मंदिर में महाराज के पास आये और उनके चरणों में गिर कर बोले, ‘‘मारिये चाहे बचाइये अब स्थिति मेरे बस की नहीं है।’’ महाराज बोले मरना कोई खेल है। तुम्हारी पत्नि बहुत बची रहेगी। डाॅक्टर झूठ बोलते हैं। उन्होंने एक फूल उठाकर चौधरी जी को दिया और कहा, ‘‘बहू को दे देना।’’ इस फूल को लेकर वे अस्पताल पहुँचे और उसे अपनी पत्नि के सिर पर रख दिया। धीरे-धीरे उनकी पत्नि सावित्री देवी की दशा में सुधार आता गया। कुछ दिन में पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होकर वे घर आ गई। आज भी महाराज जी कृपा से सेवानिवृत के उपरान्त वे स्वस्थ्य हैं और नैनीताल में ही निवास करती हैं। Kainchi Ashram Neem Karoli Baba
एक घटना कैंची आश्रम की श्री चौधरी जी बताते थे कि एक दिन महाराज अपनी कुटिया के भीतर तख्त पर विराजमान थे। मैं पास ही में उनकी सेवा में खड़ा था। महाराज बोले,‘‘रामू एक स्टूल लाकर हमारे पास रख दे।’’ मैं सोचने लगा जरूर कोई महान व्यक्ति आ रहा है जिसके लिये महाराज स्टूल रखवा रहे हैं। उन्होंने स्टूल रख दिया और आगन्तुक की प्रतिक्षा करने लगे। थोड़ी देर मंे श्री चन्द्रभान गुप्ता का आगमन हुआ। महाराज उनसे स्टूल की तरफ ईशारा कर बोले,‘‘बैठिये।’’ वे हाथ जोड़कर कहने लगे,‘‘महाराज! मैं बनिया हूँ। आपकी बराबरी कैसे कर सकता हूँं।’’ ऐसा कहकर वे जमीन में उनके चरणों के पास बैठ गये। महाराज उनकी ओर देखकर मुस्कुरा दिये। श्री गुप्ता जी महाराज के अनन्य भक्तों में से एक थे। उनकी महाराज पर बड़ी आस्था थी। Miracles of Neeb Karori Baba
एक घटना चौधरी जी और बताते थे। वर्ष 1974-75 में एक बार हल्द्वानी से नगरपालिका के वाहन में नैनीताल आ रहे थे। बरसात का मौसम था। रात करीब 8-9 बजे के मध्य उनका वाहन गहरी खाई मेें गिर गया। अचानक उन्हें महाराज याद आ गये। उनका ध्यान कर हनुमान चालिसा का पाठ करना आरम्भ किया। उस दुर्घटना में दो लोगों की मौत भी हुई। महाराज की कृपा से श्री चौधरी जी को कुछ चोट लगी। उपचार के उपरान्त वे शकुशल घर को आ गये। वहाँ पर उन्हें विश्वास हुआ कि हनुमान चालिसा के पाठ को महाराज क्यों जोर देते थे। इसका जिक्र श्री चौधरी जी ने वृन्दावन से प्रकाशित पुस्तक ‘‘अमृत सुधा’’ में भी किया है। परन्तु एक रहस्य अभी भी बना हुआ है कि महाराज की भक्ति प्राप्त करने के उपरान्त भी श्री चौधरी जी कुछ वर्ष पूर्व बम्बई से अचानक इस तरह गायब हुए कि आज तक उनका कोई पता नहीं चल पाया है। Miracles of Neeb Karori Baba