वर्मीपोस्ट ( Vermicompost ) इस जैविक खाद के निर्माण हेतु प्रत्येक घर गांव में ही आसानी से उपलब्ध गोबर तथा कचरा एवं केंचुए द्वारा छायादार स्थान पर उचित पानी की उपलब्धता पर बहुत – कम लागत में बिना किसी विशिष्ट उपकरणों तथा तकनीक के, हम खुद के लिए एवं अधिक उत्पादन कर दूसरों को बेचने के लिए इस खाद को तैयार कर सकते हैं। केंचुए की खाद बनाने के लिए गोबर, कटी हुई सब्जी का कचरा, नमी हेतु पानी और छायादार स्थान का चुनाव किया जाता है। गोबर की उपलब्धता पर खाद का आकार निर्भर करता हैं जिसकी अमूमन चैड़ाई 3-5 फीट रखी जाती हैं। उपरोक्त जगह पर 3 से 4 इंच मोटी कचरे की परत लगानी चाहिए। यदि गोबर हो तो एक से डेढ़ फिट ऊंचाई तक इस स्थान को भर देते हैं और इसमें उपयुक्त नमी बनाये रखते हैं। जगह को गीला करने के 2-3 दिन बाद केंचुए छोड़ दिये जाते हैं और आवश्कतानुसार उपयुक्त नमी बनाये रखने हेतु पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। नमी कम होने पर केंचुए बढ़ नहीं पाते और मर जाते हैं।
इसके उपरांत घास-फूस तथा पत्तियों के कचरे से स्थान ढक दिया जाता है एवं ऊपर से बोरी द्वारा ढक दिया जाता है। इस तरह पर्याप्त नमी एवं रोशनी कम होने के कारण केंचुए लगातार सक्रिय रहते हैं। वर्षा एवं सर्दी का मौसम छोड़कर गर्मी में नमी रखने के लिए हर रोज पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। 35-45 दिनों के अन्दर उपरोक्त कचरा/गोबर वर्मीकम्पोस्ट में बदल जाता है। यह भी देखा गया है की गोबर गैस संयंत्र से निकला हुआ गोबर की स्लरी से इस पद्धति द्वारा उत्तम खाद बनाई जा सकती है।
तैयार हुई खाद से केंचुए अलग करने हेतु क्यारी की उपरी सतह से 2-3 इंच तक गुड़ाई कर दे। ऐसा करने से केंचुए नीचे चले जाते हैं। तथा ऊपर की खाद को अलग कर दुबारा गुड़ाई कर दें। इस तरह केंचुए एवं खाद को अलग-अलग किया जा सकता है। बाजार में इस तकनीक से तैयार किये गए खाद की बढती माँग को देखते हुए बडे़ स्तर पर स्थापित कर ग्राम पंचायत अथवा महिला समूह द्वारा आजीविका के रूप में इसे अपनाया जा सकता है। इससे गाँव ही नहीं वरन आस-पास के क्षेत्रों में जैविक खाद की उपयोगिता का प्रसार और अपनाने में मदद मिलेगी ।