श्री हनुमान जन्मोत्सव विशेष। भारतीयता एवम भारतीय संस्कृति में साहस ,भक्ति , लक्ष्य प्राप्ति में हर क्षण के भगवान हनुमान ही है जो सबको प्रिय तथा मस्तिष्क में हर वक्त विराजमान रहते है ।।प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मदिन जन्मोत्सव मनाया जाता है। हनुमान जी कलयुग में जागृत देव हैं ।भक्ति ,समर्पण ,सेवक, कार्य साधक भगवान हनुमान की महिमा अपरंपार है। उनके स्मरण से ही भूत-प्रेत, पिशाच तथा अनिष्टकारी शक्तियाँ दूर हो जाती हैं। महावीर, ज्ञान, वैराग्य, बुद्घि के प्रदाता है। भक्त की प्रार्थना सुनकर महावीर तत्काल सभी कष्ट हर लेते हैं। हनुमानजी हर कार्य में कुशल और निपुण है उन्होंने ही सुग्रीव की सहायता हेतु श्रीराम से मिलाया और श्रीराम की सहायता के लिए सब कुछ अपनी बुद्धि कौशल से किया। उनके विशिष्ट प्रबन्धन ने ही सेना को समुद्र पार करने तक अपने बुद्धि कौशल से उसे पूर्ण किया ।वेदों और पुराणों के अनुसार, पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म चैत्र मंगलवार के ही दिन पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। इनके पिता का नाम वानरराज राजा केसरी तथा माता अंजनी थी। रामचरितमानस बताती है की हनुमान जी का जन्म ऋषियों द्वारा दिए गए वरदान से हुआ ।
हनुमान जी के पास सभी आठों सिद्धियां का वरदान हासिल है। ये आठ सिद्धियां है- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इसीलिए
भगवान हनुमान की शक्ति, साहस, बुद्धि, ब्रह्मचर्य, राम के प्रति उनकी भक्ति एवम अनुराग उन्हे महान बनता है । मान्यता है कि इनकी आराधना से हर दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और सुख-संपदा की प्राप्ति होती है। कुछ लोग हनुमान जयंती छोटी दीपावली के दिन भी मनाते हैं।
2024 में हनुमान जयंती
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 25 मिनट से 24 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 18 मिनट तक रहेगी ।
बजरंगबली की आराधना करने के लिए हनुमान चालीसा पड़ी जाती है ।
: इसीलिए कहा गया है श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी के साथ ही साथ रामजी और भगवान शिव पार्वती की भी कृपा प्राप्त होती है।, इसलिए कहा गया है जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई। मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ विशेष होता है । हनुमान चालीसा अवधी में तुलसीदास द्वारा लिखी एक काव्यात्मक कृति है। जिसमें प्रभु श्री राम के परम भक्त हनुमान जी के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। इसमें बजरंगबली जी की वन्दना के साथ प्रभु श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। ‘चालीसा’ शब्द से अभिप्राय ‘चालीस’ (40) का है क्योंकि इसमें 40 छन्द हैं और दो परिचय के दोहे है । हनुमान चालीसा शक्तिशाली एवम रोग, भय से मुक्ति और मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली है ।
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
हनुमान जन्मोत्सव पर सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पढ़ी जाती है। हनुमान चालीसा पूरे विश्व में लोकप्रिय है किन्तु भारत में उत्तर भारत में यह बहुत प्रसिद्ध है। लगभग सभी को यह कण्ठस्थ होती है। हनुमान जी को वीरता, भक्ति और साहस की प्रतिमूर्ति माना जाता है। शिव जी के रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी को बजरंगबली, पवनपुत्र, मारुतीनन्दन, केसरी नन्दन, महावीर आदि नामों से भी जाना जाता है। हनुमान जी अजर-अमर हैं। जो भय ,कलेश दूर तथा भक्ति भाव के साथ शक्ति ,ज्ञान एवम आनंद देते है । शनिवार के दिन हनुमान चालीसा पढ़ने का विशेष महत्व है। हनुमान चालीसा से जीवन के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि हनुमान भक्तों पर शनिदेव भी कृपा बरसाते है। जय बजरंबली
लेखक प्रो ललित तिवारी , नैनीताल ( Professor Lalit Tiwari , Nainital ) डिपार्टमेंट ऑफ़ बॉटनी कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में कार्यरत हैं और साथ ही कुमाऊं की धर्म , संस्कृति , लोक पर्व एवं परम्पराओं में गूढ़ ज्ञान रखते हैं और इनके संवर्धन के प्रति लगातार कार्यरत एवं समर्पित हैं।